Last Updated on September 27, 2020 by Swati Brijwasi
Table of Contents
Google birthday: इंटरनेट सर्च तो रोज है परन्तु रोज भीतर-भीतर हम इनरनेट से सर्च करे अपने आप को सर्च करे
- विश्व नदी दिवस
- विश्व बेटी दिवस
- विश्व पर्यटन दिवस
- संयुक्त राष्ट्र संघ की वर्षगांठ
- इंटरनेट सर्च इंजन Google birthday
- श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के नायक श्री अशोक सिंघल जी की जन्मजयंती
- उत्तराखंड के युवाओं को बेहतर भविष्य देने के लिये स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना नितांत आवश्यक
- नदियों में समाहित है धरती की प्राण चेतना
- कोरोना से कोडिंग की यात्रा – पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

ऋषिकेश, 27 सितम्बर। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि आज का दिन अनेक सुयोग लेकर आया है। आज Google birthday, विश्व नदी दिवस, विश्व बेटी दिवस और विश्व पर्यटन दिवस मना रहा है। उन्होने कहा कि नदियाँ धरती की जलवाहिकायें हैं। जिस प्रकार मानव शरीर रूधिर वाहिकाओं के बिना जिन्दा नहीं रह सकता उसी प्रकार जल वाहिकाओं के बिना धरती पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।
भारत सहित विश्व की अनेक संस्कृतियों की जननी हमारी नदियां ही हैं। ऋग्वेद में सरस्वती नदी का उल्लेख मिलता है, जिसमें इसे विशाल तथा सदानीरा कहा गया है। हड़प्पा सभ्यता के लगभग 1000 से अधिक पुरातात्त्विक केंद्र आधुनिक घघ्घर नदी के सूखे हुए किनारों पर पाए गए हैं। ऐसे अनेक प्रमाण हैं कि नदियों के तटों पर विश्व की अनेक संस्कृतियों का उद्भव हुआ।
विश्व नदी दिवस
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि भारत सहित विश्व की कई नदियां अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी हैं और कुछ तो लुप्त होने की कगार पर हैं। ऐसे में नदियों का सरंक्षण करना अति आवश्यक हो गया है इसलिये हर वर्ष सितंबर के आखिरी सप्ताह के रविवार को विश्व नदी दिवस मनाया जाता है, ताकि नदियों के प्रति जन जागरूकता बढ़े, जन समुदाय एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करे और सीवेज़ और कल-कारखानों का प्रदूषित जल नदियों न प्रवाहित किया जाये।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आज विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर कहा कि उत्तराखंड पर्यटन का मुख्य केन्द्र गंगा और अन्य सदानीरा नदियां है जो कि हिमालय की गोद से निकलती हैं।
विश्व पर्यटन दिवस
उन्होने कहा कि भारत का पर्यटन केवल मनोरंजन का केन्द्र नहीं है बल्कि यह आध्यात्मिकता, योग, ध्यान और दिव्यता से युक्त पर्यटन है। उत्तराखंड तो धरती पर जन्नत के समान है यहां पर हरियाली और स्वच्छ जल का अपार भण्डार है। हमारा जीवन रक्षक और ऑक्सीजन का भण्डार हिमालय उत्तराखंड के पास है। यहां की नदियां जीवन और जीविका देने वाली हैं; जंगल के रूप में धरती के फेफड़े यहां पर मौजूद हैं, इसलिये इस दिव्य क्षेत्र में हरित तीर्थाटन और हरित पर्यटन हो; स्वच्छ तीर्थ और हरित तीर्थ हैं। उत्तराखंड में सिंगल यूज प्लास्टिक पूर्ण रूप से बंद हो और यह केवल पेपर पर नहीं बल्कि प्रेक्टीकल रूप से हो
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि वहीं तीर्थ और मेले सार्थक हैं जो समाज को नई दिशा देते हैं। अतः यहां आने पर लोग एक नई चेतना लेकर जाये। यहां के दिव्य स्थलों पर गंदगी न हो, उत्तराखंड को आकर्षक, दिव्य और भव्य पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिये स्थानीय सहयोग जरूरी है। साथ ही हमें सुरक्षित पर्यटन को भी बढ़ावा देना होगा, हमें पर्यटन की दूरगामी नीतियों का अनुसरण करना होगा तथा अपने राज्य के पर्यटन का आधारभूत ढांचा तैयार करना होगा। यहां पर आवागमन के संसाधनों की पर्याप्त सुविधायें हो, पर्यटकों के विश्रामस्थलों, हैरिटेज होटल के साथ सड़कों पर भी विशेष ध्यान देना होगा।
साथ ही उत्तराखंड के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये स्थानीय उत्पादों, जड़ी बूटियों और यहां के भोजन को वैश्विक पहचान देने हेतु प्रयास करना नितांत आवश्यक है। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर पर्यटन एक बड़ा उद्योग है। यह कई क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करता है साथ ही अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ाने में मदद करता है। कोविड-19 के दौरान अनेक लोगों को अपने रोजगार और व्यवसाय को खोना पड़ा ऐसे में स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन करना ही बेहतर विकल्प है।
इंटरनेट सर्च इंजन Google birthday
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि आज इंटरनेट सर्च इंजन Google birthday मनाया जाता है, लेकिन लगता है कि इंटरनेट सर्च तो रोज है परन्तु रोज भीतर-भीतर हम इनरनेट से सर्च करे अपने आप को सर्च करे। इटरनेट से समाज को सर्च करे और संसार को सर्च करे परन्तु इनरनेट से अपने आप को सर्च करे। वर्ष 1998 में इंटरनेट सर्च इंजन गूगल की स्थापना हुई थी। यह कम्पनी स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. के दो छात्र लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन द्वारा स्थापित की गयी थी। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि डिजिटलीकरण के दौर में इंटरनेट संचार और सूचना प्राप्ति का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण जरिया बन गया है।
आज से कुछ दशक पूर्व इंटरनेट तक पहुँच को विलासिता का सूचक माना जाता था, परंतु वर्तमान में इंटरनेट सभी की जरूरत बन गया है। कोविड – 19 के दौरान शिक्षा जगत में एक विलक्षण क्रान्ति का सूत्रपात हुआ। छोटे-छोटे बच्चे और उच्चशिक्षा प्राप्त कर रहे युवा सभी डिजिटली शिक्षा ग्रहण कर रहे है, डिजिटली परीक्षा और साक्षात्कार लिया जा रहा है। मुझे तो लगता है यह समय कोरोना से कोडिंग (प्रोग्रामिंग) की ओर बढ़़ने का है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने श्री अशोक सिंघल जी को आज उनके जन्मदिवस के अवसर पर याद करते हुये कहा कि वे विश्व हिन्दू परिषद के २० वर्षों तक अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। वे भारत को बहुत कुछ देकर गये। श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के नायक थे श्री सिंघल जी। आईये आज उनके जन्मदिवस के अवसर पर उनकी देेशभक्ति को नमन करें।
विश्व बेटी दिवस
आज विश्व बेटी दिवस भी है इस अवसर पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि बेटियां, भारत का गर्व है; बेटियों ने कई क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पूरे भारत को गौरवन्वित किया है। वर्तमान समय में बेेटियां देश की उन्नति में अपना योगदान प्रदान कर रही हैं। वही दूसरी ओर भारत मेें अभी भी कई स्थानों पर पितृसत्तात्मक मानसिकता है जिसके कारण विषम लिंगानुपात का सामना आज भी भारत कर रहा है। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में भी देश में उच्च शिक्षा हेतु घर से बाहर बेटियों को भेजने पर अधिकतर अभिभावकों को सुरक्षा संबंधी चिंता होती है जो कि जायज भी है क्योकि लड़कियों के प्रति समाज में बढ़ रही हिंसा की घटनाओं के आंकड़े बहुत अधिक हैं।
स्कूल में महिला शिक्षक न होने के कारण भी लड़कियों को स्कूल भेजने हेतु सोचना पड़ता हैं। मासिक धर्म के दौरान भी कई लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ता है, क्योंकि देश के कई स्कूलों में पानी जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं। भारत में कई स्थानों पर लड़कियों का छोटी उम्र में ही विवाह कर दिया जाता है, जिसके कारण वे पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाती। ये सब आंकड़े दर्शाते हैं कि आज भी बेटियां कई बेडियों में जकड़ी हुई है। आज बेटी दिवस पर हम सभी संकल्प लें कि बेटा और बेटी में भेदभाव नहीं करेंगे और बेटियों को भी शिक्षा के उपयुक्त अवसर प्रदान करेंगे।