अद्भुत संगम: 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद, विनोबा भावे और मोहन भागवत का जन्म दिवस

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Last Updated on September 11, 2020 by Swati Brijwasi

Wonderful Sangam: अद्भुत संगम: 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद, विनोबा भावे और मोहन भागवत का जन्म दिवस

  • भूदान’ एवं ‘ग्राम दान’ आंदोलनों के अग्रज विनोबा भावे जी की देशभक्ति को नमन
  • शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानन्द जी का अद्भुत उद्बोधन
  • स्वामी विवेकानन्द जी भारतीय संस्कृति को विश्व की धरती पर ले जाने वाले अग्रदूत
  • विनोबा भावे जी का चिंतन दिल, दिमाग और हृदय परिवर्तन करने वाला-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज
Wonderful Sangam: World Religion Parliament held in Chicago in 1893, Vinoba Bhave and
Birthday of Mohan Bhagwat
Wonderful Sangam: World Religion Parliament held in Chicago in 1893, Vinoba Bhave and
Birthday of Mohan Bhagwat

ऋषिकेश, 11 सितम्बर। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि आज का दिन वास्तव में अद्भुत (Wonderful Sangam) और अविस्मणीय है। आज के दिन, 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद जी ने वहाँ एकत्रित हुए 5000 प्रतिनिधियों को ’मेरे अमेरिकी भाइयो एवं बहनो’ शब्दों से सम्बोधित कर सभी का अभिवादन कर अपने उद्बोधन के द्वारा भारतीय संस्कृति, संस्कार और अध्यात्म की गंगा बहायी थी। 100 साल बाद मुझे उसी मंच पर आज के ही दिन सम्बोधित करने का अवसर मिला। वह स्थल भी अपने आप में प्रेरणा का प्रतीक बन गया है।

स्वतंत्रता के पश्चात भूदान और ग्राम दान आंदोलनों के माध्यम से देश के दरिद्र नारायणों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिये राष्ट्र व्यापी आन्दोलन चलाने वाले विनोबा भावे जी का जन्म दिवस भी है। दोनों महापुरूषों ने मानवता, राष्ट्रीयता और भारतीय संस्कृति को जीवंत बनाये रखने के लिये अद्भुत योगदान दिया।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत माता के अनुपम लाल, भारतीय संस्कृति, संस्कारों एवं मूल्यों को समर्पित, अध्यात्म और विज्ञान का अद्भुत संगम आदरणीय संत श्री मोहन भागवत जी को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें। माँ गंगा एवं ईश्वर उन्हें दीर्घायु, दिव्यायु और स्वस्थ रखे ताकि वे भारत माता की सेवा करते हुये भारतीय युवाओं का मार्गदर्शन करते रहें।

Honorable Mohan Bhagwat
माननीय मोहन भागवत जी

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि माननीय मोहन भागवत जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ परिवार के सदस्यों ने सेवा, सयंम और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। माननीय भागवत जी अपने उद्बोधनों के माध्यम से देश की युवा शक्ति में राष्ट्रभक्ति का जज़्बा, जुनून, और जोश प्रवाहित करते रहते हैं।

आदरणीय श्री गोलवलकर गुरु जी का मंत्र इदम राष्ट्राय इदम न मम के अनुरूप संघ परिवार इन्हीं संस्कारों के साथ आगे बढ़ रहा है। वास्तव में किसी भी संस्था का मुखिया समर्पित हो तो हर मेम्बर समर्पित होता है और यही आदर्श माननीय भागवत जी ने स्थापित किया है।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने भारत की अमूल्य और अद्भुत संस्कृति से पूरे विश्व को परिचित कराया। उन्होेंने हिन्दू धर्म, दर्शन और संस्कृति को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलवायी। स्वामी विवेकानन्द जी भारतीय संस्कृति को विश्व की धरती पर ले जाने वाले अग्रदूत हैं।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि ’स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है!’ इस एक वाक्य में ही श्री विनोबा भावे जी ने जीवन के पूरे विज्ञान को समाहित कर दिया है।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि श्री विनोबा भावे जी का चिंतन लोगों के दिल, दिमाग और हृदय परिवर्तन करने वाला था। उनकी बातें जनमानस के विचार और सोच को बदलने वाली थी।

Everything is an expression of God)
सब कुछ ईश्वर की ही अभिव्यक्ति है)

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि ‘ईशावास्यमिदं सर्वं’ (सब कुछ ईश्वर की ही अभिव्यक्ति है) अर्थात प्रत्येक मनुष्य में ईश्वर का अंश निहित है। न कोई बड़ा न कोई छोटा है। यदि लोगों को श्रेष्ठ मार्गदर्शन और उचित प्रेरणा मिले तो फिर जीवन में कैसी भी परिस्थितियाँ आयें परन्तु व्यक्ति चाहे तो हर परिस्थिति में समाज के लिये सकारात्मक योगदान कर सकता है।

इसी सिद्धान्त पर चलते हुये विनोबा भावे जी ने ‘भूदान’ एवं ‘ग्राम दान’ जैसे आंदोलनों को सफल बनाया। भूमिहीन कृषकों की दशा सुधारने हेतु विनोबा भावे ने 1951 में भूदान तथा ग्रामदान आंदोलनों की शुरुआत वर्तमान तेलंगाना के पोचमपल्ली गाँव से की थी ताकि भूमिहीन और निर्धन किसान समाज को मुख्य धारा से जोड़कर गरिमामय जीवन पद्धति प्रदान की जा सके।

स्वतंत्रता के बाद लगभग 57 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि कुछ ज़मींदारों और सामंतों के पास थी। विनोबा भावे जी का विचार था कि भूमि का वितरण कानून बनाकर नहीं बल्कि राष्ट्र स्तर पर एक ऐसा आंदोलन चलाया जाए जिससे ऐसे लोग जिनके पास अधिक भूमि है वह स्वेच्छा से ज़रूरतमंद किसानों को दान दें सके।

इस आन्दोलन को सफल बनाने के लिये महात्मा गांधी जी और विनोेबा भावे जी ने लगभग पूरे भारत में पदयात्रा की ताकि देश के अन्तिम व्यक्ति को भी समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि आईये स्वामी विवेकानन्द जी और विनोबा भावे जी की देशभक्ति और राष्ट्र सेवा को नमन करते हुये हर युग के लिये प्रासंगिक उनके विचारों को आत्मसात कर जीवन जीने का संकल्प लें।