Last Updated on September 7, 2020 by Swati Brijwasi
- सवाईमाधोपुर जिला कलक्टर नन्नूमल पहाडिया बोले कोविड नियम की पालना कर दी मां को अन्तिम विदाई
- मां शब्द आते ही पहाडिया की आंख हुई नम
- पहाडिया ने नही किया नियम का उल्लंघन

हलैना,भुसावर उपखण्ड के गांव पथैना निवासी एवं सवाईमाधोपुर जिला कलक्टर नन्नूमल पहाडिया की 92 वर्षीय मां भौतीदेवी का गत दिन सवाईमाधोपुर में निधन हो गया,जिनका अन्तिम संस्कार गावं पथैना में हुआ,जो कोरोना पाॅजिटिव थी। जिसको लेकर जिला कलकटर पहाडिया पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे है,इसे लेकर दूरभाष पर जिला कलक्टर नन्नूमल पहाडिया से बातचीत की। मां कहते ही वे आम आदमी की तरह भावुक हो गए और इतना ही बोले मां से बढकर जीवन में कुछ नही हो सकता ,लेकिन इसके बावजूद मैने स्वयं की 92 वर्षीय मां भौतीदेवी का अन्तिम संस्कार सभी सामाजिक संस्कारों को दर-किनार कर कोविड-19 संक्रमण की गाइडलाइन की पालना करते हुए किया। पहाडिया ने मां के शव को घर में प्रवेश नही कराया और हिन्दू संस्कृति की एक दर्जन से अधिक रस्मों में से एक भी रस्म अदा नही की,ना मुख में चन्दन रखा,ना गंगाजल,ना ही तुलसी और ना ही मां के शरीर को स्नान कराया और ना ही मुख धोया। किसी ने भी मां के चेहरा एवं शरीर को छुआ तक नही,साथ ही सभी ने मां के शरीर से दूरी बनाए रखी। सभी ने प्रोटोकोल की पालना करते हुए मां के दूरी बनाए रख अन्तिम दर्शन किए। जिसकी इजाजत गाईडलाईन के पाइंट सख्यां-11 की मद सख्यां-3 में दी गई है।
अस्पताल में नही रास्ता में तोडा दम
जिला कलक्टर नन्नूमल पहाडिया ने बताया कि मां भौतीदेवी का निधन किसी अस्पताल में नही हुआ,सुबह मां के कोरोना पाॅजिटिव की जानकारी मिली,अस्पताल से मां का उपचार वास्ते कोटा रैफर कर दिया,कोटा ले जाते समय मां ने रास्ता में दम तोड दिया। मां की बाॅडी को 1 प्रतिशत सोडियम हाईपोक्लाराईड से विसंक्रमित करवाया गया और विसंक्रमित लीक फ्रूफ बेग में रखा गया था। अस्पताल में मां के निधन की बात असत्य है,मां ने अस्पताल में नही रास्ता में दम तोडा।
कोविड-19 गाईडलाईन की पालना
जिला कलक्टर नन्नूमल पहाडिया ने बताया कि मां का निधन उनके पास नही हुआ,मां निधन सवाईमाधोपुर के अस्पताल से कोटा ले जाते समय रास्ता में हुआ,जो मेरे पास मां के निधन होना के आरोप लग रहे है,वे असत्य है। उन्होने बताया कि सरकार ने 18 अप्रेल 2020 को जारी की गई गाईडलाईन के पाइंट सख्यां-5 की मद सख्यां- 7 एवं 8 में यह साफ है कि पाॅजिटिव शव को लीक फ्रूफ ब्लेक बेग में पेक कर उनके परिजनों को अन्तिम संस्कार के लिए दिया जा सकता है। गाईडलईन में लिखा हुआ है कि शव को अनजिप कर बेग से नही निकाला जाएगा,लेकिन गाईडलाईन के पाइंट सख्यां-11 की मद सख्यां-3 में साफ लिखा हुआ है कि शव के चेहरे को अन्तिम दर्षन के लिए अनजिप किया जा सकता है। मैने भी वही किया,केवल मां को चेहरा दिखाने के लिए कुछ देर को उतना ही हिस्सा खोला गया था,जिसकी इजाजत सरकार की गाईडलाईन भी देती है।
लीक प्रूफ ब्लेक बेग के साथ किया अन्तिम संस्कार
जिला कलक्टर पहाडिया ने बताया कि मां का लीक प्रूफ ब्लेक बेग से ढका शरीर को बेग सहित अन्तिम संस्कार किया गया,जिसकी इजाजत गाईडलाईन पाइंट सख्यां-11 की मद सख्यां-3 में दी गई है। यहां तक की नियमों की पालना करते हुए मां के शव को बन्द बेग सहित ही चिता पर रखा गया और बेग सहित अन्तिम संस्कार किया गया। मां के शव से ना कपउे हटाए,ना कपडा बदले,ना शरीर पर घी लेपा गया और ना अन्य प्रकार सामान। किसी ने मां के शव को छूआ तक नही। फिर कहां नियमों का उल्लघंप हो गया। मुझे समझ नही आ रहा है।
अधिकारी के कर्तत्व को प्राथमिकता
जिला कलकटर पहाडिया बोले कि मेरा पहला कर्तत्व है सरकारी एवं अधिकारी कर्तत्व को प्राथमिकता देना,जो मेरा निभाया,ऐसा नही करता तो सिस्टम प्रभावित होता और मेरा कर्तत्व टूट जाता। उन्होने बताया कि मां किसी की भी उनको लेकर नुक्ताचीनी नही होनी चाहिए,दुनियां की हर मां एक समान है। मां धर्म-जाति एवं छोटे-बडे आदमी के हिसाब से अलग नही होती है। मां केवल मां ही होती है। वह अतुलनीय है। यह मेरा दुर्भाग्य है कि मेरी मां का निधन इन हालातों में हुआ। मुझ पर मां और समाज के साथ सरकार के हर नियम की पालना करने की दोहरी जिम्मेदारी है। में इस बात को जानता हू की अगर मैं कोई गलती करूंगा,तो उसका प्रभाव पूरे सिस्टम पर पडेगा,इस लिए मैने बेटे से पहले एक जिम्मूदार अधिकारी के कर्तत्व की पालना को ही प्राथमिकता देते हुए अपनी मां को अन्तिम विदाई दी।
जीवन में पहली बाद देखा
गांव पथैना निवासी एवं पूर्व प्रधान राजकुमारी,पूर्व सरपचं ठाकुर भूपेन्द्रसिंह,सरपचं स्नेहलता बृजेश कुमार,निवर्तमान जिला परिषद सदस्य आशा सतेन्द्रसिंह,पूर्व सरपचं गुडडर जीतेन्द्रसिंह आदि ने दावा किया है कि सवाईमाधोपुर जिला कलक्टर पहाडिया ने स्वयं की मां के अन्तिम संस्कार में कोविड गाइ्रडलाईन की पालना करते हुए अन्तिम संस्कार किया,जिसको लेकर आमजन में अनेक चर्चाए व्याप्त है,लोगों का कहना है कि कोरोना की गाइडलाइन की पालना करते हुए पहाडिया ने पद की गरिमा का ध्यान रखा और मां के शव को घर में प्रवेश तक नही कराया और एक भी रस्म अदा नही। ऐसा हमने जीवन पहली बार देखा।