Last Updated on June 24, 2020 by Swati Brijwasi
मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती का 55वां पुण्य स्मृति दिवस मनाया।

भरतपुर: प्रथम मुख्य प्रषासिका मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती का 55वां पुण्य स्मृति दिवस प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विष्वविद्यालय की ओर से विष्व षांतिभवन 168-ए कृश्णा नगर, भरतपुर पर मनाया गया। इस अवसर पर प्रातः 2 बजे से अमृतबेला अखंड़ योग किया गया तथा प्रातः 6 बजे से साढ़े 7 बजे तक राजयोगिनी कविता दीदी द्वारा मातेष्वरी के दिनांक 26.04.1965 के महावाक्यों को उच्चारित कर मुरली क्लास कराई गई तथा मातेष्वरी की स्मृति में परमपिता परमात्मा को भोग स्वीकार कराया गया।
कार्यक्रम की विधिवत षुरुआत प्रातः 9 बजे से हुई, जिसमें मंचासीन अतिथि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भ्राता डाॅ. मूल सिंह राणा मुख्य अतिथि, वरिश्ठ राजयोगी भ्राता अमर सिंह एडवोकेट , भ्राता राकेष सिंह एडवोकेट, ब्र.कु. बबीता बहन, श्रीमति मंजु सिघल, संस्थापक एवं संरक्षक ज्योंइट ग्रुप भरतपुर, डाॅ. श्रीमति उर्मिला मीणा विभागाध्यक्ष, संस्कृत विभाग, एम.एस.जे. काॅलेज भरतपुर विषिश्ट अतिथि एवं अध्यक्षता राजयोगिनी कविता बहन ने की। सभी अतिथियों को आत्मिक स्मृति का तिलक, वैज एवं साहित्य देकर सम्मानित किया गया। ब्र. कु. कनक बहन द्वारा ईष्वरीय स्मृति का गीत गाया गया।
इस अवसर पर ब्र.कु. अमर सिंह जी द्वारा मातेष्वरी जी के गुण एवं विषेशताओं पर प्रकाष डालते हुए कहा 1937 में यज्ञ की स्थापना के समय से ही मातेष्वरी को यह आभास हो गया था कि यही है परमात्मा षिव का सृश्टि परिवर्तन का कार्य। उनके अंदर निर्भयता थी, वे षिव की साक्षात षक्ति थीं। वे कहती थीं पहले आत्मा परिवर्तन होती है फिर अन्य आत्माऐं उसके पश्चात् सृश्टि परिवर्तित होती है। उनकी षिक्षा थी देह सहित देह के सब संबंधों को भूल स्वयं को आत्मा समझ परमात्मा को याद करना। मातेष्वरी यज्ञ के सभी बच्चों को मां की तरह पालना देती थीं एवं सभी की जिम्मेदारी निभाती थीं। मातेष्वरी ने अपनी षिक्षाओं में कहा कि पांच विकार ही दुःखों का कारण हैं एवं स्वच्छता ही सुख का आधार है।
श्रीमति मंजु सिघल द्वारा श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए कहा कि उस समय जब महिलाओं को घर के अंदर कैद कर रखा जाता था तब परमात्मा द्वारा ब्रह्मा बाबा के माध्यम से माताओं एवं कन्याओं को आगे लाकर यज्ञ की स्थापना की और मातेष्वरी जगदम्बा जैसी विभूतियां अवतरित हुईं।
डाॅ. श्रीमति उर्मिला मीणा ने कहा मम्मा सर्व गुणों की खान थी। उन्होंने आत्मा परिवर्तन कर दूसरों के जीवन को भी परिवर्तित किया।
भ्राता राकेष सिंह वरिश्ठ एडवोकेट ने कहा कि मां जगदम्बा सरस्वती ने विष्व में सुख, षांति, समृद्धि के लिए स्वयं को संपूर्ण रीति समर्पित किया और अब अव्यक्त रूप् से भी वे संपूर्ण विष्व की पालना कर रही हैं।
भ्राता भगवान सिंह ने कहा कि तीनों लोकों के स्वामी परमात्मा षिव ने ही मातेष्वरी जैसी महान विभूति को इस धरा पर उतारा। मातेष्वरी जी कहा करती थीं कि हुकुमी हुकुम चला रहा है, करन करावन हार करा रहा है।
भ्राता जगदीष जोषी ने कहा कि मातेष्वरी षिव बाबा के यज्ञ में ब्रह्मा रूपी धृत में बत्ती के रूप् में सदा प्रकाषित रहेंगी।
ब्रह्माकुमारी प्रवीणा बहन द्वारा मातेष्वरी की स्मृति में गीत गाया ‘‘ओ प्यारी मां ओ जगदंबे तेरे प्यार को जब हम याद करें….’’
राजयोगिनी बबीता बहन, सह प्रभारी भरतपुर , ने मातेष्वरी जी का परिचय देते हुए कहा पुण्य स्मृति दिवस हमें समर्थी देता है। उन्हें बच्चे, बूढ़े और जवान सभी मम्मा कहते थे वे ब्रह्मा की पुत्री सरस्वती के रूप् में विष्व कल्याण के कार्य में समर्पित रहीं। संसार में ऐसी कोई आपदा या विघ्न नहीं हो सकते जिस पर परमात्म षक्ति से विजय ना पाई जा सके।
भ्राता डाॅ. मूल सिंह राणा ने कहा हमारी चेतना और आंतरिक षक्ति को प्रकट करने के लिए मातेष्वरी जगदम्बा सरस्वती जैसी मां को याद करना आवष्यक है। ऐसे कार्यक्रम करने से मन की षांति एवं षक्ति जागृत होती है और मनोवल बढता है आज की चुनोंती में माता जी का पुण्य स्मरण कर प्रेरणा लेने की बहुत जरूरत है
अध्यक्षीय उदबोधन में राजयोगिनी कविता बहन द्वारा कहा गया कि आज का दिन बड़े हर्श और गर्व का दिन है। मातेष्वरी के व्यक्तित्व व चरित्र का विष्लेशण करते हैं तो निश्कर्श निकलता है मीठी मम्मा ने मन, वचन, कर्म से परमात्म आज्ञा का पालन किया, थ्योरी व प्रैक्टिकल को एक समान किया। उनकी सैद्धांतिक व व्यावहारिक षिक्षा पूरे जगत के लिए कल्याण का कार्य प्रषस्त कर रही है। उन्होंने नारी षक्ति को जिंदावाद की ऊर्जा प्रदान की। उनके कुषल नेतृत्व ने साबित कर दिया अंधविष्वास रूढ़िवाद को कैसे समाप्त किया जा सकता है। इसलिए आज वे विष्व वंदनीय मां के रूप् में याद की जाती हैं। आज मम्मा के नेतृत्व में 140 देषों में 60 हजार समर्पित ब्रह्माकुमारी बहनों की प्रेरणा स्रोत रही मम्मा का अनुकरण कर उनके पुण्य स्मृति दिवस को मना रहे हैं। सामाजिक दायित्व निभाते हुये मम्मा के आदर्षों पर चल कर लाखों नर नारी भी पालन कर रहे हैं मां जगदंबा की सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम सत्यता, स्वच्छता, निर्विकारी जीवन को अपनाएं।
ब्र.कु. रणवीर भाई ने आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया तथा ब्र.कु. प्रवीणा बहन द्वारा मंच का सफल संचालन किया गया। अंत में सभी अतिथियों एवं उपस्थित ब्र. वत्सों द्वारा मातेष्वरी की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। सभी अतिथियों को ब्र.कु.योगिता ब्र.कु पावन, द्वारा टोली प्रसाद एवं सौगात भेंट की गई एवं अन्य सभी को टोली प्रसाद वितरित किया गया।