Last Updated on June 15, 2020 by Swati Brijwasi
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आ अब लौट चले…पश्चिमी राजस्थान लौटने लगा पशुधन।

हलैना-भरतपुर(विष्णु मित्तल)बरसात के मौसम की शुरूआत होने से पहले पश्चिमी राजस्थान के विनिन्न जिला से आने वाले गाय,ऊंट एवं भेड-बकरी पालन तथा ग्वाला लोटने लगे है,जिनके झुण्ड जयपुर नेशनल हाइवे-21 एवं धौलपुर मेधा हाइवे-45 सहित अन्य मार्गो पर भरतपुर से जयपुर की ओर जाते नजर आ रहे है। ये अक्टूम्बर-नवम्बर माह में पूर्वी राजस्थान व उत्तरप्रदेश आते है और जून में वापिस घर की ओर लोटने लगते हे। पशुपालक कोरोना वायरस से बचाव तथा लाॅकडाउन की पालना करते हुए गंगा-यमुना व चम्बल नदी किनारे पशुधन को चारा-पानी खिलाया,जो बरसात अब घर की ओर लोटने लगे है,जिनके मुख से एक ही वाक्या सुनने को मिलता है आ अब लोट चले अपने घर की ओर।
कब और कहां से आता पशुधन
पश्चिमी राजस्थान के विभिन्न जिला में गर्मी का प्रकोप एवं चारा-पानी का अभाव देख अक्टूम्बर-नवम्बर में पूर्वी राजस्थान के भरतपुर-धौलपुर जिला एवं उत्तरप्रदेश प्रान्त की ओर चल देते है,जो गंगा-यमुना एवं चम्बल नदी किनारे 6-7 महिना पशुधन को चराते है और जून में वापिस घर लोटने लगते है। ये बाडमेर,जैसलमेर,जोधपुर,नागोर,जालोर,भीलवाडा आदि जिला से आते है और भरतपुर,मथुरा,अलीगढ,धौलपुर,आगरा,कानपुर,इलाहाबाद आदि जिला में पशुधन को चराते है।
तीन गुना हो जाता पशुधन
बाडमेर निवासी ग्वाला रामफल राठोर एवं गीताबाई ने बताया कि 12 सितम्बर को 2500 भेड-बकरी लेकर निकले,जो 8-9 महिना में 7 से 8 हजार हो गई,प्रतिवर्ष पशुधन को लेकर आते है। पश्चिमी राजस्थान में भेड-बकरी व ऊंट पालन के अलावा गाय-गधा पालना मुख्य धन्धा है,भेड-बकरी में बीमारी नही लगे तो सबसे अच्छा मुनाफा देने वाला कारोबार है। बीमारी से पशुधन जल्द मरता है। अबकी बार बीमारी नही लगी,केवल कोरोना वायरस के डर ने अवश्य सताया। पशुधन में पांच वर्ष के बाद लाभ मिला है,गत वर्ष बीमारी से भेड-बकरी अधिक मर गई।
विश्वास पर रखता ग्वाला
मोहनबाई ने बताया कि पशुधन मालिक विश्वास पर भेड-बकरी,गाय व ऊंट आदि की देखभाल पर रखता है,जो 12 हजार से 20 हजार रू प्रति महिना वेतन तथा खाना को राशन सामग्री पृथक से देता है। गाय,भेड-बकरी व ऊंट का दूध-दही एवं घी बेच कर पेट भरते है। दूध-घी से प्राप्त होने वाले पैसा पर मालिक की आधी भागीदारी होती है। मालिक के साथ कभी धोखा नही दिया जाता है। जो प्रत्येक ग्वाला पर विश्वास करता है।
कोरोना वायरस ने सताया
जोधपुर निवासी सोहनपाल ने बताया कि कोरोना वायरस से मानव डरा हुआ है और धरती पर संकट है,कोरोना वायरस से बचाव तथा लाॅकडाउन की पालना करते हुए नदी किनारे एवं जगल में डेरा डाले रहे,हमें भूख-प्यास की चिन्ता नही थी,केवल कोरोना से बचाव और क्षेत्र के लोगों का विश्वास कायम रखना था। सुरेश चैहान ने बताया कि कोरोना वायरस से भयभत ज्रूर रहे,लेकिन बचाव के उपाए करने के साथ-साथ राशन सामग्री पर ध्यान दिया।
दूध-दही ही खाया
ग्वाला गीताबाई एवं मीराबाई ने बताया कि कोरोना के मानव जीवन सुरक्षा के लिए देश में लाॅकडाउन रहा,जिसकी पालना करते हुए आवादी क्षेत्र में प्रवेश नही किया,पाचं दिन तक दूध-दही खाया और पेट भरा,अन्न के दर्शन तक नही हुए,ऐसा जीवन में पहली बार हुआ।