Last Updated on February 28, 2020 by Swati Brijwasi
- विधानसभा में जिला प्रशासन, प्रशासनिक सेवाएं तथा पेंशन एवं अन्य सेवा निवृत्ति लाभ की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित
- राज्य सरकार भर्ती प्रक्रियाओं को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध-जलदाय एवं ऊर्जा मंत्री
जयपुर, 28 फरवरी। जलदाय एवं ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार समस्त विभागों में भर्ती प्रक्रियाओं को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की प्रतिबद्धता का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहली बार भर्तियों की प्रगति की समीक्षा प्रत्येक माह नियमित रूप से स्वयं मुख्यमंत्री द्वारा की जा रही है। इसके सुपरिणाम भी सामने आने लगे हैं। परीक्षा परिणाम जल्दी जारी हो रहे हैं, परिणाम आने के बाद नियुक्ति देने की समयावधि को न्यूनतम किया जा रहा है। राज्य सरकार का पूर्ण प्रयास है कि निकट भविष्य में कम से कम प्रशासनिक सेवाओं की भर्ती कलैण्डर के आधार पर समयबद्ध तरीके से हो।
डॉ. कल्ला शुक्रवार को विधानसभा में मांग संख्या 4 (जिला प्रशासन) एवं मांग संख्या 5 (प्रशासनिक सेवाएं) तथा मांग संख्या 15 (पेंशन एवं अन्य सेवा निवृत्ति लाभ) की अनुदान मांगों पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे। चर्चा के बाद सदन ने जिला प्रशासन की 5 अरब, 61 करोड़ 89 लाख 74 हजार रूपये एवं प्रशासनिक सेवाएं की 2 अरब, 72 करोड़ 76 लाख 37 हजार रूपये तथा पेंशन एवं अन्य सेवा निवृत्ति लाभ की 233 अरब, 91 करोड़ 70 लाख 5 हजार रुपये की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित कर दी।
डॉ. कल्ला ने कहा कि प्रशासनिक सेवाएं राजकीय व्यवस्था का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है, इन पर राज्य सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करवाने की बहुत ही महत्ती जिम्मेदारी होती है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की ओर से जनप्रतिनिधियों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाएं। उनके साथ दुव्र्यवहार का मामला सामने आने पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि मेरिट के आधार पर रेवेन्यू अपील ऑथोरिटी के पद सृजित करने पर विचार किया जाएगा। जलदाय एवं ऊर्जा मंत्री ने अधीनस्थ सेवाओं की भांति राज्य सेवाओं में भी टीएसपी क्षेत्र के निवासियों के लिए पृथक आरक्षण के संदर्भ में कहा कि अधीनस्थ सेवाओं और राज्य प्रशासनिक सेवाओं की प्रकृति, भूमिका और उत्तरदायित्व बहुत भिन्न होते हैं तथा राज्य सेवा के अधिकारियों को एक क्षेत्र विशेष तक सीमित किया जाना संभव नहीं है, इसलिए प्रशासनिक सेवाओं में टीएसपी क्षेत्र के निवासियों के लिए पृथक से आरक्षण नहीं किया गया है और न ही अलग कैडर बनाया गया है।
डॉ. कल्ला ने सदन को आश्वस्त करते हुए विश्वास दिलाया कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछडा वर्ग, अति पिछडा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग आदि सभी वगार्ें को कानून प्रदत्त आरक्षण के अधिकार की पालना सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है। कार्मिक विभाग आरक्षण की पूरी पालना करवा रहा है। उन्होंने कहा कि आरक्षित वर्गों का बैकलॉग बहुत कम है। गत 24 फरवरी को एक परिपत्र जारी कर बैकलॉग दूर करने के निर्देश दिए गए हैं।
डॉ. कल्ला ने कहा कि राज्य की नीतियों और कार्यक्रमों की सफलता बहुत कुछ प्रशासनिक सेवाओं की दक्षता और दृष्टिकोण पर भी निर्भर करती है। इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने इस सरकार के प्रथम बजट (2019-20) में ही राज्य सेवाओं के सेवारत अधिकारियों के प्रशिक्षण (सेवाकाल में प्रशिक्षण) की घोषणा की थी, जिसका क्रियान्वयन भी प्रारम्भ हो गया है तथा हरिश चन्द्र माथुर लोक प्रशिक्षण संस्थान, ओटीएस-रीपा ने राज्य सेवा के अधिकारियों के लिए मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम भी प्रारम्भ कर दिये हैं। मुख्यमंत्री की बहुत ही अच्छी पहल है जिसके फलस्वरूप अधिकारियों का दक्षता स्तर बढ़ेगा और इसका सीधा लाभ राज्य और आमजन को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान राज्य की प्रशासनिक मशीनरी को चुस्त-दुरूस्त करने एवं कमियों को दूर करने के संबंध में सदस्यों की ओर से आए सभी सुझावों को सकारात्मक रूप से लिया जाएगा। डॉ. कल्ला ने कहा कि राजस्थान ऎसा पहला प्रदेश है जहां अलग से पेंशन विभाग है और इसके सभी संभाग मुख्यालयों पर कार्यालय है। उन्होंने कहा कि पेंशन प्रकरणों की मासिक मॉनिटरिंग की जा रही है। साथ ही मोबाइल एप के माध्यम से भी प्रकरणों को ऑनलाइन मॉनिटर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पेंशनर्स को 20 हजार रूपए तक दवा पुनर्भरण किया जाता है। इससे आगे 50 हजार रूपए तक जिला कलक्टर एवं 2 लाख रूपए तक राज्य स्तर से स्वीकृति दी जाती है।
उन्होंने कहा कि गत सरकार के समय मृतक आश्रितों को डेढ़ से दो साल तक अनुकम्पात्मक नियुक्ति नहीं मिलती थी। हमारी सरकार इस व्यवस्था में सुधार लाते हुए तत्परता से अनुकम्पात्मक नियुक्ति देने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि जहां पर भी पद खाली हो, वहां अनुकम्पात्मक नियुक्ति देने के लिए नियमों पर पुनर्विचार किया जा रहा है।